मेरी खवाहिशे

खवाहिशो के मेरे ना पंख है,
ना ही सपनो का आसमा।

ना कोई  उम्मीदों  की  दुनिया भी  ,
ना  चाहतों का कोई आसरा।

ढूंढती नहीं जो दुर की हो मंजिलें,
जानती नहीं उन उम्मीदों के सुर जो ना को मिलें।

ओस की बूंदों सी ख्वाहिशें मेरी ,
पहले किरण से पहल खामोशी से रोज़ आ कर मिल लेती है !






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