फैज दुआ

मेरे करीम झुककर बड़े आजिजी के साथ
तेरे करम के सामने फैला रही हूँ हाथ


नाकामियों का गम न सहे  मेरी जिंदगी
हर तरह कामयाब रहे मेरी जिंदगी

वो शौक़ देके क़ौम के कुछ काम आ सकूँ
हर दिल अजीज बनके बड़ा नाम पा सकूँ

पढ़ लूँ जो इल्म उसपे अमल भी हो ए खुदा
हर वक़्त तेरी याद रहे दिल के रहनुमा

आमादा हो कभी न तबियत गुनाह पर
सीधा चलूँ हमेशा हिदायत की राह पर

दुनिया में बेकसों की मोहब्बत का दम भरु
हमदर्द बनके उनकी मुसीबत को कम करूँ

पहुंचाऊं फैज अपने पराये को उम्र भर
या रब ये मुख़्तसर सी दुआ है क़बूल कर



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